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Saturday, January 7, 2012

कथा विवरण

कथा जीवन का सही मतलब सिखाती है 
प्यासों को प्रेम का अमृत पिलाती है 
और जो उनको देखने के लिए दिन-रात तडपते हैं 
कथा उन्हें मेरे बांके बिहारी से मिलाती है 

यह समय दिल्ली के भक्तों के लिए अति विशेष समय होता है क्यूंकि इस काल में पूज्य गुरुदेव की चार कथाओं का आयोजन यहाँ होता है. सर्वप्रथम कमला नगर में कथा हुई, फ़िलहाल पीतमपुरा में कथा चल रही है और आने वाले समय में आदर्श नगर एवं शालीमार बाग में गुरुदेव अमृत बरसाने आएंगे. 

मै अपनी किशोरी जी को और बिहारी जी को बहुत बहुत धन्यवाद कहना चाहता हूँ कि उन्होंने मुझे यह सुअवसर प्रदान किया कि मै कमला नगर में पूज्य गुरुदेव कि कथा में शामिल हो सकूँ और उस दिव्य कथा रुपी अमृत का पान कर सकूँ. मै आप सब भक्तों को यह बताना चाहता हूँ कि पूज्य छोटे गुरुदेव ने कमला नगर की कथा में ऐसा आनंद बरसाया कि एक क्षण के लिए भी यह अनुभूति नहीं हुई कि हम कमला नगर में बैठे हैं, ऐसा ही लग रहा था कि मानो हम वृन्दावन के कुंजो में बैठ कर गुरुदेव से प्रभु के गुणगान श्रवण कर रहे हैं. कथा पंडाल का नज़ारा ऐसा अद्भुत था, विशाल पंडाल, उसमे हजारों कि संख्या में झूमते हुए भक्त, एक अति-सुंदर मंच और उस पर हीरे की तरह चमकते हुए हमारे पूज्य छोटे गुरुदेव जो अपनी वाणी, अपनी नज़र और अपनी मुस्कान से सबको घायल कर रहे थे. इस बार गुरूजी ने अनेक अद्भुत प्रसंग और नए नए भजन सुनाये. यदि मै उन सबके बारे में आपको बताऊ तो शायद एक सप्ताह तक तो मै लिखूंगा और फ़िर दो सप्ताह तक आप पढोगे. पर चिंता मत करिये, मै सारे प्रसंग नहीं लिख रहा हूँ, केवल तीन विशेष हास्य-विनोद के प्रसंग मै आपको बताने जा रहा हूँ. यदि श्यामा जू कि कृपा रही तो फ़िर आगे आने वाले समय में आपको शेष सभी प्रसंग का वर्णन करूँगा. 




१. पूज्य गुरुदेव मुक्ति के बारे में चर्चा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि यदि आप श्रीमद भागवत कि कथा में प्रवेश कर लेते हो तो मुक्ति की चिंता छोड़ दो. आपको मुक्ति तो अपने आप ही मिल गयी और केवल आपको ही नहीं आपके घरवालों को भी मुक्ति मिल गयी क्यूंकि यदि सास कथा में जायेगी तो बहु पीछे से मुक्त है न. पूज्य गुरुदेव ने बताया कि एक पंजाबी बहु ने बड़ा सुंदर कहा
सास होवे तो चंगी होवे 
न तो फोटो विच टंगी होवे 

२. पूज्य गुरुदेव महारास की कथा सुनाते वक्त विशुद्ध प्रेम के बारे में बता रहे थे. गुरुदेव ने कहा कि गोपियाँ तो ठाकुर जी से निष्काम प्रेम करती थी. उनके प्रेम का कोई कारण नहीं था परन्तु आज कल हम लोग प्रेम किसी कारणवश करते हैं. हमारे प्रेम में बहुत सारी शर्ते होती है. यदि वे शर्तें पूरी होती हैं तभी हम प्रेम करते हैं, तो यह प्रेम नहीं बल्कि एक व्यापार है. पूज्य गुरुदेव ने बताया कि एक बार एक पिता ने अपनी बेटी से पूछा कि तुम्हे कैसा पति चाहिए तो बेटी ने बड़ा सुंदर उत्तर दिया 
husband मेरा ऐसा हो 
wallet में जिसके पैसा हो 
लंबी जिसकी height हो
गुस्सा जिसका light हो
जब सासु जी से मेरी fight हो
तो कहे जानू तुम ही right हो 

३. पूज्य गुरुदेव रिश्तों कि अहमियत के बारे में बता रहे थे कि किस प्रकार से आज के युग में रिश्तों से मिठास समाप्त हो रही है. आज कल तो बेटा अपने बाप की नहीं सुनता. प्रतिदिन हम बाप-बेटे में झगडे देख सकते हैं. किसी समय में बेटा अपने पिता के सामने अपनी गर्दन उठाने से डरता था वही बेटा आज अपने बाप से सीधे मुह बात नहीं करता. गुरुदेव ने सुनाया कि एक घर में एक पिता और उसका बेटा लड़ रहे थे किसी बात पे. तो बेटे न कहा पापा देखो आपके सिर में सफ़ेद बाल है. तो पिता बोला कि तेरे जैसा नालायक बेटा होगा तो बाल सफ़ेद ही होंगे. उसी वक्त बेटे ने भी कह दिया कि आज समझ आया दादा जी के सारे बाल सफ़ेद क्यों हैं. बंधुओ महत्वपूर्ण यह प्रसंग नहीं है, अपितु अधिक महत्व तो उस बात का है जो इस प्रसंग को सुनने के बाद पूरे कथा पंडाल में गूँज गयी. उड़ते उड़ते यह बात मेरे कानो तक भी आई. सब कहने लगे कि हमें भी आज ही पता चला कि बड़े गुरूजी के बाल अभी तक सफ़ेद क्यों नहीं हुए. 

तो यह थे कथा के कुछ महत्वपूर्ण अंश. मुझे बड़ी खुशी हुई यह देख के कि लोगो के पास आज भी भक्ति के लिए समय है. अन्यथा तो देखने से यही लगता है कि सब भागते भागते अपनी कब्र में घुस रहे हैं. पर पूज्य गुरुदेव चाहे छः घंटे कथा का विस्तार क्यों न करे, किसी के पैर वहां से जाने के लिए नहीं उठते. आप देख सकते हो कि यदि हमें लगातार २ घंटे कही बैठना पड़ जाये तो हम कितने परेशान हो जाते हैं परन्तु श्री जी कि दया के प्रभाव से सब घंटो बेठे रहते है पर किसी के मुह से आह नहीं निकलती. कथा विश्राम के बाद भी यही मन करता है कि गुरुदेव ने कथा बंद क्यों की, अभी तो और सुनने कि लालसा है. यह गुरुदेव कि आवाज़ का ही असर है और उसी कि उर्जा है जो न तो गुरुदेव हमें जाने से रोकते हैं और न हम जाते है. मै गुरूजी के लिए बस इतना ही कहूँगा: 

जब उनके तिरछे नयन दिल के आर पार हुए 
वो लुत्फ़ आया कि शिकार बार-बार हुए 
बड़ी अजीब बंदिशें हैं ये गुरुदेव की आवाज़ की 
न उन्होंने कैद किया और न हम फरार हुए 

अंत में कथा विश्राम कि बेला आ ही गयी. गुरुदेव तो होली उत्सव मना के हम सबकी आँखों में धूल झोंक देते हैं. उस वक्त तो हमें ऐसे दिव्य उत्सव में ले जाते हैं जहाँ कुछ होश ही नहीं रह जाता कि आज कथा विश्राम है. और जब उस उत्सव से बाहर निकलते हैं तो एहसास होता है कि गुरुदेव कितनी आसानी से हमें धोखा देकर चले गए. ऐसे आनंद में डूबा दिया कि उन्हें एक बार भीगी पलकों से विदा भी न कर पाए. और यही सोच के मन बहुत आंसू बहाता है पर अब इंतज़ार के आलावा कुछ भी हमारे पास नहीं है. अब तो फ़िर अगले वर्ष ही गुरुदेव आएंगे. तब तक ६ महीने उनकी याद में और ६ महीने उनके इंतज़ार में बिताने पड़ेंगे. अभी कुछ दिन पूर्व मै एक गीत सुन रहा था, तो मुझे लगा कि यह गीत बिलकुल सटीक ढंग से मेरी भावनाओ को व्यक्त करता है. जिस समय गुरूजी हमें अकेला छोड़ के जा रहे होते हैं तो दिल यही गता है:

अभी न जाओ छोड़ कर, के दिल अभी भरा नहीं
अभी अभी तो आये हो, बाहर बन के छाए हो
हवा ज़रा महक तो ले, नज़र ज़रा बहक तो ले
ये शाम ढल तो ले ज़रा, ये दिल संभल तो ले ज़रा
मै थोड़ी देर जी तो लूँ, नशे के घूंट भी तो लूँ
अभी तो कुछ कहा नहीं, अभी तो कुछ सुना नहीं
अभी न जाओ छोड़ कर, के दिल अभी भरा नहीं

~~~~~*****~~~~~ राधे राधे राधे  राधे राधे राधे राधे राधे राधे ~~~~~*****~~~~~

14 comments:

  1. Radhe Radhe,

    Mein Pune se likh rahi hoon.
    Bahuth Bahuth Dhanyawaad, itni sundar baatein aapne Gurudev ki katha ke baare mein likha hai..

    Yahaan Pune mein itni door se hum katha aur Gurudev se itne door hain, lekin aapki Katha Vivaran ko padhke bahuth acha lagaa.

    Prarthana yahi hai ki Shyama joo ki krupa sadaiv bani rahe, taaki aap shesh ke prasang bhi likh sake.

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  2. Radhey Radhey ji

    Apka bahut bahut abhaar, par mujhe apkiu ek bat achi nahi lagi. Apne likha ki aap katha aur gurudev se itne dur hai. Wo to ham sabke dil me rehte hai, hamesha hamari yado me hamare pas. Jaha tak katha ki bat hai to adhyatm hai na katha ke nazdeek le jane ke liye.

    Radhey ju Kripa Kare

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  3. Radhe Radhe


    Dhanyawad, sachmuch Gurudev tho hamesha hamare paas hamare dil mein hai, aur katha Adhyatma channel se nikat hai...aur hum unse aapki blog se jud jathe hai.

    Aur sabse badi baath, yadi hum yeh bateein bhool jaye [ki hum katha aur Gurudev ke nikat hain], tho Bihariji aap jaise bhakth bhej dete hain yaad dilane ke liye ki woh hamare paas hain.

    Radha Rani aur Bihariji ki Hrupa sadaiv bani rahe!

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  4. Radhe Radhe Anshu,

    Sahi pakda tumne..gurudev vishram ke din holi ustav mein bhigo kar chale jate hai warna hum kya kabhi unhe jaane denge..
    Hai to vrindavan ke hi na....jaise gopiyo ne kanhaiya ko sirf is liye jaane diya ki kanhiya ne kaha "mein jaldi aunga"..usi tarh gurudev bhi agli katha ki suchna deke ..chale jaate hai...aur hum prem ke pagal isi ke sahare chup khade reh jaate hai.
    katha ka antim din hamesha bhav purn hota hai..aakhen namm aur dil khamosh hota hai.
    Pujya gurudev - hum katha mein aate nahi ..aapki kripa se bulaye jaate hai..jai shri radhe

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  5. Radhey Radhey

    Bilkul sahi kaha shagun di apne, ab bhi agar wo pal yad ata hai ki mai gurudev ko jate hue nahi dekh paya, to bahut bura lagta hai. Par fir wo bat yad aa jati hai jab usi rat gurudev ne mere sir pe hath rakha tha. Sab shri ji ki kripa hai aur gurudev ka ashirwad hai ki ham katha me bula liye jate hai.

    Radhey ju Kripa Kare

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  6. SHRI RADHE RADHE ....MERA TO BUS YAHI HAI KAHNA KI HAME TO JOGANIYA BANAY GAYO RI WO LALA NAND KO.....

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  7. SHRI RADHE RADHE......HAME TO JOGANIYA BANAY GAYO RI WO LALA NAND KO ......

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  8. radhe radhe ye mere bhi bhi gurudev he radhe radhe

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  9. Radhey Radhey Anshu Ji,

    Sbasey pehley mein aapka bahut bahut abhari hoon ki aap hamein Gurudev Ji katha ka vritant likh kar bhej dete hain aur hamein katha se door rehtey hue bhi katha mein hone ka anubhav ho jata hai. Mera aap se anurodh hai ki aap hamein Gurudev Ji ki Delhi mein hone wali katha ke sthan aur samay ki jaankaari kripya uplabdh karaney ki kripa karein.

    Jai Shree Radhey

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  10. Radhey Radhey Atul ji

    Ye mere prabhu ki kripa hai, gurudev ka ashirwad hai aur aap sab bhakto ka pyar hai ki mai apne bhavo ko vyakt kar pata hu.

    Katha ki sari jankari apko samay samay par prapt hoti rahegi.

    Radhey ju Kripa Kare

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  11. kya gurudev ki katha ab adhyatm chhanal ke sath sath sanskar ya aastha pur telecast nahi ho sakti.abhi bhi adhytma chhanal hamare cable me available nahi hai. hamne vigat ek sal se gurudev ki koi bhi katha nahi dekh pai hai..

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  12. Radhey Radhey

    Bhakt ji, gurudev ki katha ka telecast ab sanskar ya aastha pe hona zara mushkil hi hai. Par adhyatm pe to aksar hi katha ati rehti hai. Abhi bhi chote guruji ki jhansi se ati hai subah 11 baje aur bade guruji ki live ati hai sham kol orrisa se. Aap waha kyu nahi dekhte. Channel abhi kahi nahi aya hai, aap adhyatmtv.com pe dekho.

    Radhey ju Kripa Kare

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    1. Radhey Radhey Anshu Gupta ji,

      Aap kirpa karke mujhe bataye ki mujhe guru ji se mantra lena hi uske liye mujhe kaya karna hoga. Or kaya unki katha Jalandhar mei hoti hai Pl. mujhe bataye. Apki bhut kirpa hogi.

      Radhey Radhey

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  13. radhe radhe.
    bahut hi sundar vichaar hain.
    aise hi prem barsaate rahiye.
    jai shri krishna

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