जो बात दवा से बन न सकी.....!!!!!
वो बात .....दुआ से होती है..........!!
होती है...... कृपा जब सदगुरु की....!
अषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में माने जाता है. हमरी संकृति में गुरु का विशेष महत्व है. गुरु शब्द का संस्कृत में अर्थ होता है अन्धकार को दूर करके के अपने शिष्यों के जीवन में प्रकाश भरने वाला. गुरु ही हमें इश्वर से मिलने का मार्ग हमें दिखाते है और हमें सद्गति प्रदान करते है. हमारे जनम के दाता तो माता पिता है पर हमारे कर्म के दाता गुरुदेव है. इनकी शरण में आकर हाउ दुखिया और रोगी को चैन मिल जाता है.
यह दिन ऋषि वेड व्यास का जन्मदिवस भी है. और हमारे परम पूज्य गुरुदेव श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी महाराज भी आज ही के दिन अवतरित हुए थे. इसलिए आज गुरु पूर्णिमा के साथ साथ पूज्य महारज श्री का जन्मदिवस भी वृन्दावन के ठाकुर श्री राधा स्नेह बिहारी मंदिर में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है. इनके लाखो भक्त आज इनका आशीर्वाद प्राप्त करने एवं इनकी एक झलक पाने के लिए वृन्दावन में उमड़ पड़ते है. आज के दिन गुरूजी दीक्षा मंत्र भी देते है.
परम पूज्य गुरुदेव के पुत्र श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी महारज को भी हम कोटि कोटि प्रणाम करते है तथा उन्हें गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामना देते है. परम पूज्य छोटे गुरुदेव के कंठ में तो साक्षात् माँ शारदा विराजमान है. इनकी वाणी सुनकर मन को इतना चैन मिलता है की भक्त अपने हर कष्ट भूल जाते है. इनकी भाषा शैली में वो रस है की वो मोहिनी मंत्र को भी मोहित कर सकती है. इनका अंदाज़ एकदम ख़ास है और यदि मई इनकी आवाज़ की तारीफ करने बैठा तो शायद ये ब्लॉग बहुत छोटा मालूम होगा. और हमारी इतनी औकात भी नहीं है की हम गुरूजी की तारीफ या उनसे कोई शिकायत कर सके. यह तो हम सब पर कृपा है की हमें उनके चरणों में स्थान प्राप्त है.
शिकायत किस ज़ुबां से करू..... उनके न मिलने की..!!
क्या यह एहसान कम है... की मेरे दिल में वो रहते है..!!
राधे राधे
ReplyDeleteपूज्य गुरूजी आज गुरुपूर्णिमा के अवसर पर आपके चरनोमे कोटि कोटि प्रणाम !
आपके मुख से भगवद कथा को सुनकर मेरा मन शांत व पवित्र हो जाता हैं
मेरी रोज की दिन्चारिया मैं आपके भजन व कथा का बहूत म्हेतव
एक दिन भी भूल चूक हो जाये तो मैं विचलित हो जाती हूँ और कही और किसी मैं मन नहीं लगता
मैं कई बार वृदाबन आई पर आपके दर्शन नहीं हो पाए बस उस दिन का इंतजार हैं जब आपके शाक्षत दर्शन मिल जाये
मन मैं तो आपके लिए बहूत भाव हैं पर सब नहीं लिख पा रही हूँ
प्रेम से बोलो राधे राधे
@ GOPI
ReplyDeletejiske hridya me prabhu ke liye jyada bhav hota hai unhi ki wo jyada pariksha bhi leta hai.
man ko vichlit mat karo aur prabhu ko dhyan me rakho darshan zarur honge.
radhey radhey
Radhe Radhe Gopi ji. intjar karo harna nhi jarur milnge... vishwas hai un pe..
ReplyDeleteGurupurnima mahostav se ek din pehle vrindavan gaayi par bahut koshish karkne par bhi kisi ne guruji se milne nahi diya --Shikayat kis juba se mein karu unke na milne ki.. yahi ehsan kam hai unka(guruji ka) jo mere dil me rehte hai. Radhe Radhe
ReplyDelete@ shagun ji
ReplyDeleteaap ek din pehle vrindavan gaye hi the to ek din aur ruk jate prabhu ke charno me to guru purnima wale din to milne hi dete
par prabhu ke dham me unki agya ke bina koi nahi ruk sakta
@ Anshuji -- maine to pehli hi kaha "Shikayat kis juba se mein karu unke na milne ki ..yahi ehsaan kam hai unka (Guruji ka) jo mere dil me rehte hai ..!! Radhe Radhe
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