आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की एकादसी को देवशयानी एकादसी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है की इस दिन भगवान विष्णु चार महीनो के लिए क्षीर सागर में शयन करते है. प्रभु फिर कार्तिक मॉस के शुक्ल पक्ष की एकादसी को जागते है. चोमासे का आरम्भ भी आज ही के दिन से होता है. हमारे वैष्णव धरम में आज से चार महियो के लिए शुभ काम ठहर जाते है. जो व्यक्ति इस एकादसी का व्रत विधिपूर्वक करता है शास्त्रों में लिखा है की फिर कभी भगवान उसके लिए सोते नहीं है. इसी एकादसी को पध्मनाभ एकादसी तथा हरिशयनी एकादसी भी कहते है. इस एकादसी के फल से सभी पाप नष्ट हो जाते है और सभी दुःख दूर होते है.
प्रेम से कहिये श्री राधे
बोल बांके बिहारी लाल की जय
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