सांवल-गौर सरकार के युगल चरणों में मेरा कोटि कोटि प्रणाम, गुरु जी को सस्नेह वंदन और आप सब भक्तों को भी मेरी ओर से प्यार भरी राधे राधे. ठाकुर जी कि प्रेरणा से आज एक बार फ़िर अपनी कलम से कुछ लिखने का प्रयास कर रहा हूँ और आपको पुरुषोत्तम मास के विषय में कुछ बताना चाहूँगा. हम सबने श्रीमद्भागवत को पढ़ा या सुना ज़रूर है. इस परम ग्रन्थ के छटे स्कंध में १५ अध्याय हैं जीने में प्रथम के पांच अध्यायों में हिरण्यकश्यप की कथा है, मध्य के पांच अध्यायों में भक्त प्रहलाद का चरित्र आया है और अंतिम पांच अध्यायों को कर्म पंचाध्यायी कहा जाता है. हिरण्यकश्यप ने एक बार ब्रह्मा जी का कठोर तप करके कुछ ऐसे वरदान हासिल कर लिए, जिससे उसकी मृत्यु लगभग नामुमकिन हो गयी. उसका आतंक बहुत अधिक फ़ैल गया. उस राक्षस ने ब्रह्मा जी से एक वरदान ये भी माँगा था कि में साल के बारह महीनो में से किसी भी महीने में ना मरुँ. जब भगवान नरसिंह उस दुष्ट का संहार करने पधारे थे, तो उन्होंने उसे कहा था कि मै तुझे साल के १२ महीनो में नहीं मार सकता, इसलिए तेरे लिए मै एक तेरहवा महीना बनाता हूँ, पुरुषोत्तम मास.
शनिवार १८ अगस्त से यह पवित्र पुरुषोत्तम मास प्रारंभ हो चुका है और इस वर्ष हमें इसका सानिध्य भाद्रपद के महीने में मिला है. यह बहुत ही उल्लास की बात है क्यूंकि श्रावण और भाद्रपद सबसे खुशहाल महीने माने जाते हैं और उनमे यदि पुरुषोत्तम मास भी मिल जाये तो कहने ही क्या. शुद्ध भाद्रपद के कृष्ण पक्ष के उपरान्त अब अधिक मास का शुक्ल पक्ष चल रहा है, फ़िर अधिक भाद्रपद का कृष्ण पक्ष और तत्पश्चात शुद्ध भाद्रपद का शुक्ल पक्ष आयेगा. पुरुषोत्तम मास केवल ऐसा महीना है जिसका शुक्ल पक्ष, कृष्ण पक्ष से पूर्व आता है. ये मास हर तीसरे साल में आता है और विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग अलग नामों से जाना जाता है. उदहारण के लिए: मल मास, अधिमास, मलिमलुच, संसारपा और अहम्सपति मास. इस महीने में कोई सूर्य-संक्रांति नहीं होती. हमारी संस्कृति में इस महीने का विशेष महत्व है और केवल संस्कृति ही नहीं, विज्ञान की दृष्टि से भी यह महीना बहुत आवश्यक है. हाम मानते हैं कि पृथ्वी ३६५ दिनों में सूर्य के इर्द गिर्द आपना एक चक्कर पूरा करती है, परन्तु यदि बारीकी से देखे तो यह अवधि कुछ घंटे कम होती है और उसको पूरा करने के लिए ही अधिक मास हमारे कैलेंडर से जोड़ा गया.
इस महीने में शादी, गृह-प्रवेश, मुंडन इत्यादि शुभ कार्य निषेध होते हैं परन्तु धार्मिक अनुष्ठान जैसे हवन, भगवत महायज्ञ, दान आदि बहुत फलदायक होते हैं. जो शुद्ध ह्रदय से और पूर्ण भक्ति भाव से यह कार्य करता है, उसे अपनी पूजा-अर्चना का विशेष लाभ प्राप्त होता है. इस अधिक मास का वर्णन ऋग्वेद, अथर्ववेद, भागवत पुराण एवं और भी कई प्रामाणिक ग्रंथो में आया है. भागवत जी में लिखा है कि जो भक्त किसी धार्मिक नदी या कुंद में स्नान इस महीने में करता है, उसके सारे संताप प्रभु खुद हर लेते हैं. धन और शांति पाने के लिए इस महीने में श्रीमद्भागवतगीता का पथ करना चाहिए और प्रभु श्री कृष्ण और श्री हरी विष्णु के कथाओं को पढ़ना या सुनना चाहिए. हमें फर्श पर सोना चाहिए, दिन में एक बार भोजन लेना चाहिए और किसी भी प्रकार की पितृ-पूजा या तर्पण नहीं करना चाहिए.
कथा कुछ ऐसी भी पढ़ने को मिलती है कि एक बार यह अधिक मास क्षीर सागर में नारायण भगवान से मिलने गया और उनसे विनती करने लगा कि मुझे भी एक देवता दो. जैसे हर मास का, हर नक्षत्र का, और हर दिन का एक देवता होता है, ऐसे अधिक मास का कोई देवता नहीं था. तो उसकी करूँ पुकार पर मेरी दयालु सरकार ने उसे अपना ही एक नाम दे दिया, 'पुरुषोत्तम' और वो स्वयं इस अधिक मास के देवता बन गए. हमारी उन्ही के चरणों में यह विनती है कि वो हर जगह खुशी बनाये रखें और अपने भक्तों पर कोई विपदा न आने दे.
Radhe Radhe Anshu ji aap to hamesha se hi bahut acha likhte hain.aap aise hi likhte rahiye taki hume bhi kuch gyan milta rahe.Radha rani hum sabpe kripa karien.
ReplyDeleteRadhey Radhey Madhura ji,
ReplyDeleteApka bahut bahut abhaar, ye aap sab bhakton ke prernadayi vachan hi hai jo mujhe likhne ke liye prerit karte hain. Mai aap sabka abhaari hu.
Radhey ju Kripa Kare
Radhe Radhe.
DeleteParnam Anshu ji maine aap se pehle bhi nivedan kiya tha ki apne chhote guru dev se milna chahti hun aur unn takya un panditon tak meri vinti pahuncha dijiyega agar wo mujh se milna chahe to khiyega unn ki shihya unn se milne ke liye bahut tadpat hai sayed har shishya aisa hi tadpata hoga apne guru dev se milne ke liye maine diksha kaya le li uss ke baad to apne guru dev se mil hi nahi pai ya yu keh lijiye ki mujhye milne hi nahi diya gaya ........ho sake to guru dev ke shri charno mai meri arzi jarur laga dijiyega kabhi to wo padenge hi kabhi to unn ki kishori ji kahengi hi ki ye kaun padeyo hai aap ke ccharno mai kabhi to wo mujh gareeb par rehmatki nazar dalenge ............jai jai shri radhye
ReplyDeletewha wha anshu bahut gyan bhari bat betai...
ReplyDeleteRadhey Radhey
ReplyDeleteApka bahut bahut abhaar Prince ji.
Aur devi, mai apse bar bar yeh nivedan karta hu ki aap apne bare me kuch bataye, aap har baar anonymous ban ke comment dalte ho. Vaise to ham hote hi kaun hai apko guru ji se milwane wale, par fir bhi jab tak aap hame apne bare me kuch bataoge nahi ham apki koi madad nahi kar sakte. Wo log apko guruji se kyu nahi milne dete, jab har shishya guru purnima pe unse milta hai to aap kyu nahi mil pate, jab tak aap hame ye nahi bataoge hamare hath khade hue hain.
Radhey ju Kripa Kare
Radhe radhe anshu
ReplyDeletebahut hi sunder likha hai aapne.....aapse se vinati hai ki aap aese hi humko prabhu se jude rahane mai humari madat kare.
jai jai shri radhe
Radhey Radhey Kapil ji,
ReplyDeleteAapka bahut bahutt abhaar aur aap ye bilkul na kahe ki ham apki madad karte hai prabhu charno se judne me. Vaastav me to ham khud hi apke bharose apni kalam chalate hai.
Radhey ju Kripa Kare
Definitely believe that which you said. Your favorite reason appeared to be at the internet the simplest factor
ReplyDeleteto be mindful of. I say to you, I certainly get annoyed whilst other folks consider issues that they plainly don't recognise about. You managed to hit the nail upon the highest as smartly as defined out the whole thing without having side-effects , people can take a signal. Will probably be back to get more. Thank you
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