जैसा कि हमारे शास्त्रों में वर्णित है कि एकादसी तिथि सबसे पवित्र तिथि है और यह दिन हमारे ठाकुर जी को विशेष रूप से प्रिय है. संतजन कहते हैं कि जो व्यक्ति साल में चौबीस एकादसी का व्रत करता है उसे कोई दूसरा भजन करने कि आवश्यकता नहीं होती. उसकी सात पीढियां अपने-आप पवित्र हो जाति हैं. हमारे पूज्य गुरुदेव तो कहते हैं कि जब हम जल्दी जल्दी "एकादसी एकादसी एकादसी..." ऐसा बोलें, तो हमारे मुख से ध्वनि निकलती है "एक आदत सी" आर्थार्थ हम सब भक्तों को एकादसी के व्रत की तो आदत होनी चाहिए. एकादसी के व्रत से बढ़कर इस दुनिया में कोई जप, तप और साधन नहीं है उस तक पहुँचने का.
इस व्रत को तो केवल इतना ही विधान है कि हमें सूर्योदय से सूर्यास्त तक बिना आहार और बिना जल का सेवन किये रहना चाहिए. यदि ऐसा संभव न हो तो एक बार जलपान किया जा सकता है. परन्तु व्रत के बीच में कुछ भी खाने-पीने से आध्यात्मिकता को हानि पहुँचती है. फ़िर हमें द्वादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए और यथायोग्य ब्राह्मणों को दान देना चाहिए. यदि व्रत करना संभव न हो तो भक्त केवल प्रभु के दर्शन भी कर सकते है. क्यूंकि ये व्रत तो उन तक पहुँचने का एक जरिया है. जिसपर प्रभु कृपा करे तो बिना व्रत के, केवल दर्शनों से ही निजपद दे देते हैं.
आप सबको हमारे परिवार की ओर से निर्जला एकादसी की हार्दिक शुभकामना और बधाई
आप सबको हमारे परिवार की ओर से निर्जला एकादसी की हार्दिक शुभकामना और बधा
ReplyDeleteAnshu Ji Apko Bahut Bahut Badhai..
ReplyDeletebhut sahi kaha....jai shri radhe...!!
ReplyDeleteVery nice post....!!
radhe radhe
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