किशोरी सुंदर श्यामा, तू ही सरकार मेरी है
नहीं है औरन से मतलब, मुझे एक आस तेरी है
किशोरी सुंदर श्यामा मुझे विपदा ने घेरी है
दर्श दे के कृपा कीजो, फ़िर काहे की देरी है
टहल बक्शो महल निज को, विनय कर जोर मेरी है
सरस यह माधुरी दासी, तेरे चरणों की चेरी है
परम आदरणीय भक्तजनों, कथा प्रेमियों, भजन रसिकों एवं प्रिय पाठकों, आप सबको इस नाचीज़ की तरफ से "जय श्री राधे". आज यह लेख लिखते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है परन्तु साथ ही मेरे हाथ भी काँप रहे हैं क्योंकि आज मै उनके विषय में लिखने जा रहा हूँ जो अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक, आनंद निकुंजेश्वर श्री बांके बिहारी की भी परम अह्लाद्नी शक्ति हैं. जी हाँ, आज मै हम सबकी प्यारी, बरसाने वारी श्री राधा राणी के बारे में लिखने का दुस्साहस करूँगा.
इस धरती पर जितने वृक्ष हैं, यदि उन सबकी कलम बना दी जाये, जीता समुद्र में जल है, यदि उतनी स्याही बना दी जाये और जितनी जगह इस धरती पर है, उस सब को कागज़ बना दिया जाए तो भी गुरु की महिमा, और किशोरी जी के रूप का वर्णन नहीं लिखा जा सकता. वेद भी जिन्हें 'नेति, नेति' कहकर पीछे हट जाते हैं, उनके विषय भला हम तुच्छ मानव क्या लिखें. 'नेति' का अर्थ होता है 'न इतिः सः नेति' अर्थार्थ जिसका कोई अंत नहीं है वह हैं मेरी राधे जू. बंधुओ, मेरी प्यारी का रूप तो ऐसा है कि जब वो बिना परदे के घर से बाहर निकले, तो चंद भी शर्मा के बादलों के पीछे छुप जाता है. उनकी महिमा इतनी विशाल है कि स्वयं ठाकुर भी सेवा कुञ्ज में उनके चरण दबाते हैं. आप सब जानते हैं कि हमारे वृन्दावन धाम की क्या महिमा है, तो ज़रा सोचो जिन्होंने वृन्दावन को अपनी राजधानी बनाया है उनकी महिमा क्या होगी. ब्रज मंडल कि लता-पता, वह के मोर-बन्दर और यहाँ तक की यमुना जी भी राधे नाम का ही जाप करती हैं
ब्रज मंडल के कण कण में, प्यार बसी तेरी ठकुराई
कालिंदी की लहर लहर ने, बस तेरी महिमा गाई
और आप ब्रज के किसी भी मंदिर में जाके देख लो, भक्त जान आपको राधे नाम की मस्ती में ही झूमते हुए मिलेंगे, इतना नशा तो किसी मैखाने में नहीं होता जितना नशा हमारे वृन्दावन के मंदिरों में है. लोग नज़रों से पीते है वहाँ पर और उनके सिर पर नशा भी ऐसा होता है जो किसी भी प्रयास से उतरने वाला नहीं है. अंगूरी शराब पीने वाला तो अपनी जेब का ख्याल करते हुए कुछ देर बाद पीना छोड़ देगा पर ये राधा नाम का जाम ऐसा है प्रेमी भक्तजनों कि इसके सामने कोई अपनी जेब का ख्याल नहीं करता, यहाँ तो जान भी गिरवी रख देते हैं, बस कोई राधे नाम कि मस्ती पीला दे
न गुलफाम चाहिए, न सलाम चाहिए
न मुबारक का कोई पैगाम चाहिए
जिसको पीकर होश उड़ जाएँ मेरे
मुझे राधे नाम का ऐसा जाम चाहिए
इसी कारण से मै यह लेख लिखते हुए घबरा रहा था, मै शुरुआत की किशोरी जी के रूप से और उनके नाम पर पहुँच गया. द्वापर में एक बार सूर्य ग्रहण का पर्व पड़ा और भगवान कृष्ण अपनी सभी रानियों-पटरानियों के साथ द्वारिका से कुरुक्षेत्र पधारे थे और इधर ब्रज से सभी ब्रजवासी भी उसी समय कुरुक्षेत्र स्नान करने आये और साथ में राधा रानी भी आई थीं. रुक्मणि आदि रानियों का बहुत पहले से ही मन था कि वो किशोरी जी के दर्शन करें और आज इतना अच्छा अवसर अपने सामने देख उनसे रुका न गया. वो किशोरी जी के निवास स्थान के पास जाके खड़ी हो गयीं और प्रतीक्षा करने लगी कि कब राधे जू बाहर निकलेगी. उसी वक्त एक परम सुन्दरी अंदर से आई और उसके मुख पर करोड़ों सूर्यों का तेज था और लाखों चन्द्रमा की शीतलता. सभी रानिया उनके चरणों में गिर पड़ी तो उस स्त्री ने उन्हें उठाया और इस सम्मान का कारण पूछा. तो रुक्मणि जी ने बताया कि हम सब आपके प्रेमी कृष्ण की रानियाँ हैं और उन्होंने हमारे समक्ष आपकी और आपके रूप की बहुत तारीफ की थी पर हमें लगता है कि स्वामी ने जो भी कहा था कम ही कहा था, आपकी महिमा तो उससे बहुत अधिक है जितना हमें बताया गया. तो आप यकीं नहीं करोगे कि उस स्त्री ने क्या जवाब दिया, वो स्त्री बोली कि आप लोग मुझे गलत समझ रहे हो, मै राधा नहीं हूँ मै तो राधा की दासी की भी दासी हूँ. ज़रा सोचिये जिनकी दासी कि भी दासी का रूप ऐसा है तो उन किशोरी जी का रूप कैसा होगा.
श्रीमद भागवत जैसे विशाल ग्रन्थ में कहीं भी हमारी राधे का नाम नहीं है. मै इस तथ्य के कारण में तो नहीं जाऊँगा पर आपको इतना ज़रूर बता दूँ की भागवत में भले ही राधे जू का नाम न हो पर ये ग्रन्थ केवल राधा नाम पर ही टिका है. मुझे बहुत लोग ऐसे मिले जो इस बात को अन्यथा अर्थ से समझते हैं. जब लोग ये बात सुनते हैं की भागवत में राधे जू का नाम नहीं है तो बहुत गलत विचार उनके मन में आ जाते हैं. मुझे खुद ऐसे कुछ लोग मिले जो उनपर शक करने लगे थे और उन्होंने कुछ एसी बात मुझे बोली जिसका ज़िक्र मुझे करते हुए भी शर्म आती है. तो मै आप सब से विनती करूँगा कि आप कोई भी ऐसा विचार अपने हृदय में न लाये क्योंकि जू ये सोचते हैं कि हमें राधा से क्या मतलब हम तो कृष्ण को अपना बनायेंगे तो ये बात भी समझ लो की बिना श्री जी की कृपा के, बांके बिहारी का मिल पाना असंभव है. इसलिए बिना किसी शंका के मेरी किशोरी का नाम गाओ क्योंकि कलिकाल में भगवान तक पहुँचने का एक मात्र साधन नाम है.
मेरी राधे के चरणों में यदि तेरा प्यार हो जाता
तो इस भव से तेरा भी बेड़ा पार हो जाता
पकड़ लेता चरण गर तू मेरी राधा राणी के
तो पागल तुझे मेरे श्याम का दीदार हो जाता
अब ज़रा मुख्य बात पर आते हैं, जिनकी बहुत अल्प चर्चा मैंने अभी की, वो राधा राणी इस धरती पे प्रकट कब हुई. भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी को तो मेरे बांके बिहारी आये थे और उनके पांच वर्ष पूर्व, भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी को गोकुल के निकट रावल गाँव में वृषभानु के यहाँ किशोरी जी का जन्म हुआ और इस पवित्र दिवस को राधाष्टमी के नाम से जाना जाता है. इस वर्ष राधाष्टमी का पर्व २३ सितम्बर को बरसाने में बड़े धूम धाम के साथ मनाया जायेगा, जिनको किशोरी जी अपने धाम में बुलाएँ वो तो परम सौभाग्यशाली होंगे ही पर यदि आप बरसाना न भी जा पो तो अपने घर पे ही किशोरी जी को 'हैप्पी बर्थडे' ज़रूर बोलना.
केवल किशोरी जी का ही नहीं, हमारे अन्य रसिक नृपति परम श्रधेय स्वामी श्री हरिदास जी महाराज का प्रादुर्भाव भी इसी दिन हुआ था. इसलिए हमारे वृन्दावन में हरिदास जी का बधाई उत्सव मनाया जाता है. लगभग एक सप्ताह पूर्व ही बधाई उत्सव प्रारंभ हो जाता है और राधाष्टमी के दिन संध्या काल में श्री बिहारी जी कि सवारी निधिवन राज पधारती है और गोस्वामी वर्ग, समाज गायन करते हुए चाव की सवारी के साथ हरिदास जी महाराज को बधाई देने के लिए आते है. इस दिन वृन्दावन में कई सांकृतिक कार्यकर्म औ स्पर्धाओं का आयोजन होता है. हमारे पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में भी श्री राधा स्नेह बिहारी मंदिर में कला रत्न सम्मान का आयोजन होता है जिसमे बहुत से कलाकार भाग लेते हैं और अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं.
मन तो यही है कि अपनी कलम को राधे जू और हरिदास जी की प्रशंसा में इसी प्रकार चलता रहूँ पर मुझे इस लेख कि मर्यादा और आपकी सहन-शक्ति दोनों का ही ख्याल रखना है, मै जानता हूँ आप सब इससे अधिक मेरे शब्दों को नहीं झेल पाएंगे. इसलिए अंत में मै आप सबकी तरफ से राधे जू और स्वामी जी को जन्मदिन कि बधाई देना चाहता हूँ और उनसे यह विनती करना चाहता हूँ कि अपनी करुणामयी नज़र इसी प्रकार बनाये रखें.
बांकी रसिक बिहारिणी राधे
बांके रसिक बिहारी
बांका मुकुट चन्द्रिका बांकी,
बांकी चितवन प्यारी
बांकी चाल चारु मति चंचल
पग नुपुर झनकारी
सरस माधुरी बांकी झांकी
ये तो जीवन प्राण हमारी
श्री राधे~~राह दे~~श्री हरिदास~~राह दे~~श्री राधे