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Sunday, October 23, 2011

महापर्व दीपावली

आपके जीवन में बरसे धन और खुशहाली
मुबारक हो आपको इस वर्ष की दिवाली
कोई न हो दुखी, हो सिर्फ खुशियों का प्रचार
ज्ञान के प्रकाश से जगमग हो उठे यह संसार


कार्तिक मास हिंदू वैष्णव धर्म में सबसे अधिक महत्वपूर्ण मास माना गया है. यही कारण है कि इस मास को दामोदर मास भी कहा जाता है. कार्तिक का महीना है ज्ञान बाँटने का और ज्ञान बटोरने का. इसीलिए इस मास में प्रत्येक मंदिर में दिए जलाये जाते है. घरों को भी प्रकाशमय किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि जिस प्रकार यह दिए अंधकार को दूर कर प्रकाश फैलाते हैं, उसी प्रकार हमें हमारे भीतर भी ज्ञान के दीप प्रज्वलित करने है जो अज्ञान के अन्धकार को दूर करेंगे.

कार्तिक के पवित्र मास में अनेक त्यौहार एवं पर्व आते हैं. करवा चौथ, होई अष्टमी इत्यादि अनेक शुभ दिन आते हैं. और इसी मास अमावस्या को होता है वर्ष का सबसे बड़ा पर्व दीपावली.

इस समय को दीपावली पंच पर्व भी कहा जाता है क्यूंकि यह लगातार पांच दिन तक चलने वाला त्यौहार है. धनतेरस से प्रारंभ होकर भाई दूज तक दीपावली का ही उत्साह और उमंड देखने को मिलता है. त्रेता युग में भगवान श्री राम लंका पर विजय प्राप्त कर दीपावली के दिन अयोध्या में पधारे थे. तभी से इस दिन को खुशी के प्रतीक स्वरुप मनाया जाता है. जैसे उस समय सभी अयोध्या वासियों ने घी के दिए जलाकर अपने प्रभु श्री राम का स्वागत किया था, आज भी सब लोग दिए जलाकर अपनी खुशी का इज़हार करते हैं. देखा जाये तो यह त्यौहार अमावस्या को मनाया जाता है, परन्तु दीपावली की रात पूर्णिमा की रात से भी अधिक प्रकाशमय होती है. इस दिन महा लक्ष्मी एवं गजानन भगवन कि पूजा का विधान है. महा लक्ष्मी हमारे व्यापर में वृद्धि करती है, हमारे खजाने भरती है और खुशियाँ बांटती हुई हमारे घर में प्रवेश करती हैं, तो दूसरी ओर गणेश भगवान हमें रिद्धि सिद्धि देते हैं.

परन्तु मुझे यह कहते हुए बड़ा अफ़सोस हो रहा है कि दीपावली जैसे शुभ पर्व को हमारे समाज के कुछ लोग शराब और जुए इत्यादि से नष्ट कर देते है. इसकी पवित्रता को कलंकित कर दिया जाता है और हर्ष-उल्लास का वातावरण कलह और झगडों का वातावरण बन जाता है. मुझे यह विश्वास है कि हमारा कोई भी पाठक इन व्यसनो में अपने जीवन को बर्बाद नहीं करता, परन्तु यदि आपके आस पास कोई ऐसा व्यक्ति है जो दीपावली कि शुद्धता को दूषित करता हो, तो कृपया उसे समझाने का प्रयास अवश्य करें. अपने घर में तो सब रौशनी करते है, परन्तु यदि आप किसी दूसरे के जीवन में ज्ञान का संचार करके उसके जीवन को प्रकाशमय करते हैं, तो वास्तविकता में आप दीपावली कि सार्थकता को सिद्ध कर देंगे. इस दिवाली को आप सब यह प्राण लें कि हम केवल अपनी मेहनत और सद्कर्मो से ही कमाएंगे और अपने दीपक जलाने के लिए किसी दूसरे के घर के चिराग को नहीं बुझने देंगे अपितु हर अँधेरे घर और जीवन को प्रकाशित करने का यथा संभव प्रयास करेंगे.

धन खूब कम आनंद माना पर दंगे और फसाद न कर
अपना घरबार बसाने को, औरों का घर बर्बाद न कर

आप सबको हम सबकी ओर से दीपावली पंच पर्व कि हार्दिक शुभकामनाएं. यह त्यौहार आपके और आपके परिवार के लिए मंगलमय हो बस यही हमारी कामना है. आप सब इसी प्रकार मुस्कुराते रहें, खुश रहें और हमें भी अपना प्यार देते रहें.

पूज्य बड़े गुरुदेव श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी महाराज और पूज्य छोटे गुरुदेव श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी महाराज की ओर से भी आप सबको बहुत सारा आशीर्वाद. महा लक्ष्मी और गजानन भगवन आप सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखें.

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The 5 Days of Diwali : The festival of Lights
Day 1: Dhanteras
Commemorates the birth of Dhanvantari (the physician of the Gods). Goddess Lakshmi is being worshiped for prosperity and well-being. Many Indian businesses start their accounting year on this day.
Day 2: Choti Diwali (Kali Chaudas)
Also known as Small Diwali. Devil Narakasura was killed by Krishna.
Day 3: Diwali & Lakshmi Puja
Commemorates the return of Lord Rama (King of Ayodhya) to his hometown from 14 years of exile in the forest, after defeating the evil king Ravana of Lanka. Goddess Lakshmi emerged from Kshira Sagara (Ocean of Milk). Lakshmi Pooja is performed on this day.
Day 4: Govardhan Puja (Annakoot)
Celebrates the victory of Krishna over Indra, the deity of thunder and rain, by lifting Govardhana Hill with his little finger to save people from the floods. This day is also known as Annakoot (mountain of food).
Day 5: Bhai Dhooj
Sisters pray for well-being of their brothers and put a mark on their foreheads. Brothers give gifts to their sisters in return.
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