शिव की ज्योति से नूर मिलता है
सबके दिलों को सुकून मिलता है
और जो भी आता है मेरे बाबा के द्वार
उसे कुछ न कुछ तो ज़रूर मिलता है
श्रावण मास भारतीय सभ्यता का सबसे पुण्य मास है और सबसे अधिक धरम का कार्य इसी मास में किया जाता है. वास्तविक रूप में यह मास भगवान श्री शिव की आराधना का माना जाता है और भोले नाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्त जन हरिद्वार से अपने निवास तक कावड लेट है और नंगे पैर चलके बाबा की आराधना करते है. इसी मास में भगवान विष्णु की भी भक्ति की जाती है. श्री धाम वृन्दावन में इस मास में प्रत्येक दिन फूल बंगले का विशाल आयोजन किया जाता है और प्रभु के दीवाने लाखों की संख्या में प्रभु के दर्शनों के लिए और अपने उद्धार के लिए वृन्दावन आते है. प्रभु की पावन कृपा से हम भी प्रभु के कृपा-प्रसाद पाने के लिए और उसका धन्यवाद करने के लिए श्री धाम वृन्दावन कल जा रहे है.
श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी अथवा चतुर्दशी को महा शिवरात्रि का पवन त्यौहार मनाया जाता है. जो भक्तजन कावड़ लेट है उनका जल प्रभु इसी दिन स्वीकार करते है. हमारे परम पूज्य गुरुदेव भी भगवान शंकर के भक्त है और उनकी महिमा में उन्होंने बहुत सुंदर भजनों की रचना की है जो अपने सुने भी है और उन्हें सराहा भी है. पूज्य छोटे गुरुदेव द्वारा गया हुआ यह एक विशेष भजन है प्रभु के चरणों में जो मई यहाँ लगा रहा हू. आप सब से निवेदन है की कृपया इस भजन को सुने और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजे.
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