कर्ता करे न कर सके पर गुरु किये सब होए
सात द्वीप नौ खंड में, गुरु से बड़ा न कोए
मै तो सात समुद्र की मसीह करूँ, और लिखने सब वन राय
सब धरती कागज करूँ पर, गुरु गुण लिखा न जाये
सच बंधुओ, किसी ने बड़ा ही सुंदर कहा है कि "सात द्वीप नौ खंड में, गुरु से बड़ा न कोए". गुरु का स्थान हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है. हम संसारी जीवों कि बात ही क्या करें, जब स्वयं प्रभु रूप धारण करते हैं, चाहे वो राम रूप हो या श्याम रूप, उन्हें भी गुरु धारण करने ही पड़ते है. भगवान कहते हैं कि वो हर जगह व्यक्तिगत रूप से हाज़िर नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने गुरु को बनाया जो भक्तों का परमात्मा के साथ सम्बन्ध जोड़ सके. भक्त और भगवान इस भव सागर के दो किनारे हैं और इन दो किनारों को जोड़ने का काम गुरुदेव का होता है. हम ये बात बड़े ध्यान से समझे कि गुरु भगवन नहीं होते और जो ये कहे कि मै भगवन हूँ, वो गुरु भी नहीं है. पर ये बात भी सत्य है कि गुरु यदि इश्वर नहीं हैं तो वो व्यक्ति भी नहीं हैं, गुरु तो केवल परमात्मा कि अभिव्यक्ति हैं. प्रभु ने अपना प्रतिनिधि बनाकर गुरु को अपने भक्तों के बीच में भेजा है.
जो बात दवा से बन न सकी, वो बात दुआ से होती है
होती है कृपा जब सद्गुरु की, तो बात खुदा से होती है
हमारे माता-पिता हमारे जीवन के आधार हैं. ये जीवन उन्ही कि देन है. हम चाह कर भी उनका यह क़र्ज़ नहीं अदा कर सकते. हमारे माता-पिता हमें संस्कार देते हैं, हमारे जीवन की रह दिखाते हैं परन्तु उस रह को रौशन गुरुदेव करते हैं. हमें मंजिल का परिचय को माता-पिता देते हैं, पर उस मंजिल तक हमारे सूत्रधार गुरुदेव होते हैं. इसलिए हमारे माता-पिता गुरु तुल्य हैं और गुरु माता-पिता तुल्य हैं. इन तीनो का स्थान कोई नहीं ले सकता. इनका जीवन में होना परम आवश्यक है.
जनम के दाता मात-पिता हैं, आप कर्म के दाता हैं
आप मिलाते हैं इश्वर से, आप ही भाग्य विधाता हैं,
दुखिया मन को, रोगी तन को, मिलता है आराम आपके चरणों में
हे! गुरुदेव प्रणाम आपके चरणों में
एक बात और बड़ी महत्वपूर्ण हमारे समझने योग्य है कि आज के कलयुग में गुरु को तो सब मानते हैं, पर गुरु की कोई नहीं मानता. सब यहो सोच कर खुश हो जाते हैं कि यदि हमने गुरुदेव के चरण पकड़ लिए, उनका आश्रय ले लिया तो हमारे ऊपर गुरु की कृपा हो गयी. परन्तु ऐसा नहीं होता. यदि कृपा होनी हो तो केवल आंख के इशारे में हो जाती है और यदि नहीं होनी हो तो चाहे पूरी जिंदगी चरण पकड़ के बैठे रहिये. और कृपा भी उसी पर होती है जो केवल गुरु को नहीं मानता, गुरु की भी मानता है. श्रद्धा और विश्वास का होना अत्यावश्यक है. इस विकत ज़माने में हमें बहुत से लोग मिलेंगे जो हमारे गुरु के बारे में गलत विचारधारा रखते हैं और वो हमें भी भटकाने का प्रयास करते हैं. वास्तव में वो कन्हैया के दूत होते हैं जो हमारी परीक्षा लेने आते हैं. हमें इस बात का ख्याल रखना है कि हम जिस गुरु को माने, पूर्ण समर्पण के साथ उनके हो जाएँ तभी गुरु आश्रय में सुकून और शांति का अनुभव हो सकेगा. और यह बात भी एक दम सच है, बल्कि ये कहूँ कि ये मेरी आप बीती बात है कि जिस दिन जीवन में गुरूजी का आगमन हो जाता है, उस दिन के बाद कामयाबी और खुशियाँ हमारे इर्द-गिर्द घूमती हैं. इसलिए कितना सुंदर कहा गया है
गुरुदेव के नाम से ये दुनिया चली है
गुरुदेव के रंग में ये दुनिया रंगी गई
और जिस शिष्य पे हो जाये गुरुदेव की कृपा
उसकी झोली फ़िर सदा खुशियों से भरी है
जैसा कि लेख के प्रारंभ में मैंने लिखा था कि गुरु गुण अनंत हैं और उनका बखान सरस्वती और सहस्त्र शेष नाग भी नहीं कर सकते और मुझ दीन के पास ऐसे शब्द कहाँ जो गुरूजी कि चर्चा कर सकें. हमारे गुरुदेव हमारे लिए बहुत कुछ करते हैं, तो उनका आभार प्रकट करने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए संतों ने एक दिन निश्चित किया है. आषाढ पूर्णिमा, जिसे हम गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं, गुरुदेव के सम्मान का दिन है. वैसे गुरुदेव का सम्मान हर पल होना चाहिए पर गुरु पूर्णिमा विशेष रूप से गुरुदेव को समर्पित एक शुभ तिथि है. इस वर्ष गुरु पूर्णिमा ३ जुलाई को मनाई जायेगी.
गुरु पूर्णिमा का त्यौहार हमारे वृन्दावन में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है. इस दिन हमारे अनन्य रसिक नृपति स्वम्क श्री हरिदास जी महाराज के अनुज श्री जगन्नाथ गोस्वामी जी का जन्मोत्सव भी होता है. पूरे वर्ष में केवल गुरु पूर्णिमा को श्री निधिवन राज में फूल बंगला बनाया जाता है. आप सबको जानकार बेहद खुशी होगी कि जगनाथ गोस्वामी जी के साथ साथ उन्ही के वंशज, हमारे पूज्य महाराज श्री, आचार्य गो० श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी महाराज का शुभ आगमन भी इस दुनिया में गुरु पूर्णिमा के दिन ही हुआ था.
इसी उपलक्ष्य में, हर साल कि भांति इस वर्ष भी जन्म दिवस एवं गुरु पूर्णिमा महोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ राधा स्नेह बिहारी मंदिर वृन्दावन में मनाया जा रहा है.
आचार्य श्रधेय मृदुल कृष्ण जी महाराज एवं श्रधेय गौरव कृष्ण जी महाराज
के पावन सानिध्य में गुरु पूर्णिमा महोत्सव मंगलवार, ३ जुलाई, २०१२ को प्रातः ०९:०० बजे से मनाया जायेगा.
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पूज्य बड़े गुरुदेव एवं छोटे गुरुदेव जी के आशीर्वचन एवं सत्संग का लाभ भी प्राप्त होगा. आप सभी शिष्य एवं भक्त सपरिवार सादर आमंत्रित हैं.
इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण केवल अध्यात्म चैनल पर
विशेष सूचना: जो शिष्य पूज्य गुरुदेव से दीक्षा मंत्र लेना चाहते हैं, वो २ जुलाई को प्रातः स्नेह बिहारी मंदिर में अपना नाम व पता देकर बुकिंग करा लें. दीक्षा केवल २ जुलाई को ही दी जायेगी, अतः सम्बंधित अधिकारीयों से जल्द से जल्द संपर्क करें.
श्री कपिल चौधरी जी, श्री प्रिंस वर्मा जी और मै स्वयं अंशु गुप्ता, राधा राणी कि असीम कृपा से गुरु पूर्णिमा उत्सव में उपस्थित रहेंगे. किसी भी सहायता के लिए निसंकोच आप हमें संपर्क कर सकते हैं. हमारी ओर से आप सबको गुरु पूर्णिमा के हार्दिक बधाई. अंत में इन्ही शब्दों के साथ कलम को विराम देना चाहूँगा
आपकी नज़रें पड़ी तो कमल हो गए
आपकी बात करी तो गज़ल हो गए
हमारी हालत तो थी जैसे टूटा मकान
पर गुरुदेव आपका साथ मिला तो महल हो गए