Blessings of Guruji (मृदुल कृषणजी महाराज)
हमारे गुरूजी कलयुग के हरिदास है .. हरिदासजी ने बिहारीजी को वृन्दावन में प्रगट किया था और हमारे गुरूजी ने स्नेह बिहारीजी के रूप में उन्हें सब भक्तो के लिए प्रग्टाया है ....
बिहारीजी के भक्त तो उन्हें मंदिर में ठीक से निहार भी नहीं पाते ... कितनी दूर दूर से आते है और मन भर देख भी नहीं पाते ... देख भी ले तो छवि को मन में याद नहीं रख पाते .. बिहारीजी ने हमारे गुरूजी को ही यह दायेत्त्व दिया है की वो सब भक्तो के दिल में / नज़रों में उनकी छवि को बसा दे !
अगर हमें एसे सदगुरु न मिलते तो क्या हम बिहारीजी के रूप को याद रख पाते ... बिहारीजी के मंदिर में तो पर्दा किसी को उन्हें देखने भी नहीं देता .. आज बिहारीजी का हर भक्त उनकी रूप माधुरी को अपने मन में भर सका तो सिर्फ गुरूजी के आशीर्वाद से ....
जो रूप मेरे मन बसा है .. उसे आप तक पंहुचा रही हु ... जो कमी हो उसे आप लोग पूरा कर देना ...
बांकी छवि / बांके अंग / बांकी पगड़ी / बांका मुकुट / बांके मोर पंख / विशाल कुंडल / राधा रानी की बिंदिया / बांके नेत्र / राधा रानी की नथ / बांकी हँसी / / राधा रानी का चुटीला / छोटे छोटे हस्त कमल जैसे मुरली लिय हाथ / गले में भिन्न भिन्न हार / बांकी फूल माल / पतली कमर और उस पर कसी फेंट / राधे रानी का लहंगा / बांके चरण कमल !
अनुरोध --- मेरे द्वारा वर्णित श्रृंगार में जो कमी आपकी दृष्टि से हो उसे अवश्य वर्णन करे !!!
-------------- जय जय श्री राधे----------------
Posted By: Shagun