बरसाने सो उठी बदरिया, घिर गोकुल पर आई
यमुना भीगी, मधुबन भीगा, गोवर्धन पर छाई
ग्वाले भीगे, गैया भीगी, नन्द यशोमती माई
चीर भिगोये ब्रज लोगन के, कुञ्ज-कुञ्ज मुस्काई
कारी-कारी कामर ओढ़े, भीगे रसिक कन्हाई
मोर मुकुट, पीताम्बर भीगा, मुरली भी नहलाई
हमारे शास्त्रों में भगवान ने कहा है कि मै महीनो में मार्गशीर्ष हूँ. अर्थार्थ भगवान की पूजा-अर्चना के लिए श्रेष्ठ महिमा मार्गशीर्ष है. परन्तु यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यदि प्रभु महीनो में मार्गशीर्ष हैं तो भक्त लोग महीने में श्रावण हैं. भक्ति और प्रेम का मौसम तो इसी श्रावण(सावन) के महीने में ही होता है. एक लंबी गर्मी के बाद बरसात का मौसम, त्योहारों का मौसम, प्यार का मौसम यह सब इसी सावन में महीने में होता है. इस महीने में तो वृन्दावन जाने का आनंद ही कुछ और होता है और ऊपर से यदि रिम-झिम पानी बरस जाये, तो कहने ही क्या. इस पूरे महीने में हमारे बांके बिहारी जी तो अद्भुत श्रृंगार करके ठाट से दर्शन देते हैं. चैत्र शुक्ल पक्ष एकादसी से हमारे वृन्दावन में ठाकुर जी के फूल बंगले सजने प्रारंभ हो जाते हैं. रोजाना शाम को प्रभु अपने कमरे से बाहर भक्तो के बीच जगमोहन में फूल बंगले में विराजते हैं. और सावन मास की अमावस्या (हरियाली अमावस्या) को ये फूल बंगले समाप्त ह्पो जाते हैं. इस वर्ष हरियाली अमावस्या वीरवर, १९ जुलाई को मनाई जायेगी. गत वर्ष मेरा यह बहुत बड़ा सौभाग्य था कि इस अमावस्या को मैंने वृन्दावन में ठाकुर जी के दर्शन किये थे. बंधुओ, फूल बंगले का वर्णन मै कैसे करू. मंदिर के पूरे प्रांगन में एसी मंद सुगंध बहती रहती है मनो हम किसी कल्पवृक्ष की छाया में खड़े हों.
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भगवान भोले नाथ की उपासना के लिए भी यह सावन का महीना सबसे उत्तम है. हम जानते है कि देश-देशांतर से श्रद्धालु हरिद्वार में एकत्र होते हैं और कांवड लाते हैं. गंगाजल का कलश भर अपने कंधो पे कांवड डाल, भक्त भोले कि मस्ती में पैदल हरिद्वार से अपने घर आते हैं. उन दीवानों को न तो पैर में छाले कि चिंता होती है और न ही किसी अन्य तकलीफ की. बस बाबा उन्हें हाथ पकड़ के खीच लेते हैं. शिव रात्रि की पवित्र बेला में यह जल शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है और उसके पश्चात् ही कांवड का व्रत पूरा होता है. इस वर्ष शिव रात्रि मंगलवार, १७ जुलाई को मनाई जायेगी. भगवान शिव की आराधना के कुछ सिद्ध मंत्र यहाँ दिए जा रहे हैं
कर्पूर गौरं करुनाव्तारम संसारसारं भुजगेन्द्र हारं
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामि
देवदेव महादेव्नील्कंठ नमोस्तुऽते
कर्तुमिच्छाम्यहम देव शिवरात्रि व्रतं तव
तव प्रभावाद्वेवेश ! निर्विघ्नेन् भावोदती
कमाद्यः शत्रवो मां वै पीड़ाम कुर्वन्तु नैव हि
रूपं देहि यशो देहि भोगं देहि च शंकर
भक्तिमुक्तिफलम देहि ग्रिहित्वार्घ्यम नमोस्तुऽते
दर्शनं बिल्व्पत्रस्य स्पर्शनं पापनाशनं
अघोरपापसंघारम बिल्व्पत्रम शिवार्पनम
नागेन्द्रहाराए त्रिलोचनाये भास्मंग्रगाये महेश्वराए
नित्यायेशुद्धाये दिगम्बराए तस्मै न कराये नमः शिवाये
शिवरात्रि के पश्चात् फ़िर हमारे वृन्दावन का एक बहुत बड़ा त्यौहार आता है. श्रावण शुक्ल त्रितीय जिसे हरियाली तीज भी कहा जाता है. इस दिन बांके बिहारी जी के बहुत विशेष दर्शन होते हैं. हरियाली तीज के पावन पर्व पर ठाकुर जी स्वर्ण हिंडोले में विराजते हैं. अनेक कीमती धातुओ से निर्मित इस हिंडोले का दर्शन वर्ष में केवल एक बार होता है. इस दिन मंदिर को एक बाग कि तरह सजाया जाता है. हर जगह हरी-हरी लाता पता शोभा पाती हैं. ठाकुर जी भी हरी पोषक हि पहनते हैं और उनकी सारी सखिया इस दिन उनके आस पास खड़ी हो जाती हैं.
सावन के महीने के अंत में अर्थार्थ श्रावण पूर्णिमा को भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मनाने का त्यौहार होता है जिसे कहते हैं रक्षा बंधन.
आप सब भक्तो को श्रावण मास की और उसमे आने वाले प्रत्येक त्यौहार की बहुत बहुत शुभकामना. जिस प्रकार से सावन के महीने में हर पेड़ फल-फूल जाता है, उसी प्रकार हम सबका परिवार, कारोबार, और प्रभु चरणों में प्यार फलता-फूलता रहे, ठाकुर जी के चरणों में यही मंगल कामना है और इसी प्रार्थना के साथ मै अपनी कलम को विश्राम देता हू. आप सबको जानकार खुशी होगी कि आपका मित्र अंशु गुप्ता अभी तक तो केवल लेख लिखता था, परन्तु इस बार आप सबके प्यार और विश्वास ने मुझे प्रेरित किया और मैंने सावन के महीने पर एक भजन भी ठाकुर जी को समर्पित किया है. मेरी सभी पाठकों से विनती है कि कृपया इस भजन को अपना कीमती समय दे और मुझे अपने सुझाव अवश्य लिखे.
सावन का महीना, छाई घटा घनघोर
कदम् की डाल पे डाले, झूला झूले नन्द किशोर
ब्रज गलियन में यमुना किनारे, मोहन कांकरिया छुप-छुप के मरे
सब गोपिन की इसने, तो मटकी देई फोर
कदम कि डाल पे डाले झूला झूले नन्द किशोर
डाट के देखो माँ ने मार के देखो, उखल ते मैया ने बांध के देखो
पर मान्यो न सांवरिया, चला न कोई जोर
कदम् की डाल पे डाले, झूला झूले नन्द किशोर
सावन की तीज आई झूले राधा प्यारी, प्यारी को झोटा देवे किशन मुरारी
हिंडोले पे देखो, कैसे मटके चित चोर
कदम् की डाल पे डाले, झूला झूले नन्द किशोर
फूलों के बंगले में विराजे है कनुआ, हंस हंस के मोह रह्यो भक्तों का मनुआ
दिल मेरा झूमे ऐसे, जैसे नाचे कोई मोर
कदम् की डाल पे डाले, झूला झूले नन्द किशोर
भव सागर में डोले दास की नैया, नैया संभालो कित खोये हो खिवैया
चरणों में अपने मोकू रखलो माखन चोर
कदम् की डाल पे डाले, झूला झूले नन्द किशोर
JAI SHRI RADHEY
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JAI BIHARI JI KI