मांगने वाले खाली न लौटे, कितनी मिली खैरात न पूछो
अरे उनकी कृपा तो उनकी कृपा है, उनकी कृपा की बात न पूछो
भक्तो, हमारी राधा राणी कितनी दयालु हैं, ये शायद किसी को भी बताने कि आवश्यकता नहीं है परन्तु फ़िर भी न जाने क्यों मन में बार बार यही विचार आ रहा है कि मै राधे जू कि कृपा के विषय में लिखूं. इनका दरबार तो ऐसा है जहा हर प्रकार के जीव को गले से लगाया जाता है. इतनी कृपा हमारे ठाकुर जी तो कर ही नहीं सकते जितनी कृपा वो बरसाने वाली बरसा देती हैं. बांके बिहारी तो वैसे ही भक्तो की आहों के आशिक हैं पर राधे जू अपने भक्तों कि आँखों में आंसू नहीं देख सकते. जिस जीव पर राधा राणी कृपा कर दें, फ़िर वो तो बांके बिहारी से मुकाबला करने के काबिल हो जाता है.
जैसा कि गुरूजी कथा में भी बताते है, सात वर्ष के छोटे से कन्हैया ने सात कोस का बड़ा सा गोवेर्धन यदि उठाया था तो केवल राधा कृपा कटाक्ष के बल पर उठाया थ और इस बात कि पुष्टि खुद ठाकुर जी ने यही कह कर की है:
कछु माखन कूँ बल बढ्यो
कछु गोपन करो सहाय
श्री राधे जू कि कृपा ते
मैंने गिरवर लियो उठाए
राधा राणी की ठकुराई कि मै कहा तक चर्चा करूँ. किसी जीव कि तो छोडो, यदि राधे न चाहे तो बांके बिहारी भी ब्रज में नहीं रह सकते. जब कंस को मरने के लिए प्रभु मथुरा गए थे और फ़िर उद्धव को भेजा था ब्रज में अपना सन्देश देकर, तो राधा राणी के लिए उन्होंने यही सन्देश भेजा था:
हे वृषभानु सुते ललिते, मम कौन कियो अपराध तिहारो
काढ दियो ब्रज मंडल ते, अब औरहु दंड दियो अति भारो
सो कर ल्यो अपनों कर ल्यो, निकुंज कुटी यमुना तट प्यारो
आप सों जान दया कि निधान, भई सो भई अब तेरो सहारो
ये तो सारी पुराणी बातें हैं, पर पिछले दिनों उनकी एक कृपा मेरे ऊपर भी बरसी. मुझे अपने एक विशेष भक्त का सानिध्य उन्होंने प्रदान किया. उन्होंने मेरा मिलन हम सबके प्रिय, भक्त श्री प्रिंस वर्मा जी से करवा दिया. इस जीवन से और क्या आशा करें, वो गुरूजी का, अपने भक्तों का संग प्रदान कर देती हैं अपने चरणों की मस्ती देती हैं. उनकी कृपा के किस्से खतम नहीं होने वाले, मै कहाँ तक लिखूं.
जब तेरी इनायत पे मेरी नज़र जाती है
हे वृषभानु लली मेरी आँख भर आती है
कुछ मांगने की तो आज तक ज़रूरत ही नहीं पड़ी
हाथ उठने से पहले दुआ कबूल हो जाती है
हम सब भक्तो पर कृपा करने के लिए अब वो किशोरी जी माँ दुर्गा बनके हमारे घरों में पधारेंगी और नौ दिनों तक अपने भक्तो के साथ ही रहेंगी. वासंतीय नवरात्र शुक्रवार २३ मार्च, २०१२ से प्रारंभ हो रहे हैं, वो मैया ही दुर्गा हैं, वही काली हैं और वहो राधा रूप भी हैं. मेरी उनके श्री चरणों में यही प्रार्थना है कि उनके सारे भक्त सुखी रहें, निरोगी रहें और किसी को कोई दुःख न सताए. माँ अपनी अमृतमयी दृष्टि आपके और आपके परिवार पर सदा बनाये रखें.
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दुःख भाग भवेत्
यदि हम अपनी संस्कृति के अनुसार देखें तो हमारा नया साल तो अब आया है. जनवरी में हमारा नया साल नहीं होता. आइये हम सब भारतीय नव वर्ष मनाये और मेरा अनुरोध है कि आप अधिक से अधिक मात्रा में इस नव वर्ष कि बधाई अपने मित्रों को दें जिससे हमारी संस्कृति एक बार फ़िर जिन्दा हो जाये और उसका प्रचार हो. आप सबको हमारे परिवार कि ओर से वासंतीय नवरात्रों और नव संवत २०६९ की हार्दिक शुभकामना.
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