गुलाब मुहब्बत का पैगाम नहीं होता
चाँद चांदनी का प्यार सरे आम नहीं होता
प्यार होता है मन कि निर्मल भावनाओं से
वर्ना यूँ ही राधा-कृष्ण का नाम नहीं होता
जब जब कोई भी भक्त भगवन कृष्ण और उनके नामों के बारे में सोचता है, तो उसके हृदय में सबसे पहला नाम आता है रास-रचैया. जी हाँ बंधुओ, हमारे कान्हा ने रास के माध्यम से जो प्रेम का सबक मानव जाति को सिखाया था उसकी वाकई में कोई मिसाल नहीं है.
आश्विन मास कि पूर्णिमा को भगवन ने अनन्त रूप धारण कर हर गोपी के साथ नृत्य किया था और इसी पूर्णिमा को हम लोग ,महारास कहते हैं.
पूरे वर्ष में केवल इसी दिन, वृन्दावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में प्रभु के हाथों में मुरली शोभायेमान होती है. इस दिन के दर्शनों का विशेष महत्व है हर भक्त के जीवन में. इस दिन प्रभु कि झांकी श्वेत रंग में ढकी हुई होती है. अन्य और भी अनेक बदलाव देखे जा सकते है. यदि आप पर मेरी किशोरी जी कि कृपा होती है और वो आपको इस पवन दिन श्री धाम वृन्दावन में बुलाती है, तो आप इन बदली हुई बातों को देखे और हमें बताएं.
इस दिन लोग खीर बना कर चांदनी के नीचे रखते है और प्रातः उसे प्रशाद के रूप में ग्रहण किया जाता है, क्यूंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन चांदनी प्रभु के चरण स्पर्श करती है और वही चांदनी जब हमारी खीर को स्पर्श करेगी तो भगवान हमारी खीर का भोग भी लगा लेंगे.
आप सब भक्तों के लिए शरद पूर्णिमा के अवसर पर एक और भी खुश खबर है. परम पूज्य गुरुदेव श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी महारज की अध्यक्षता में शरद पूर्णिमा महोत्सव श्री निधिवन में बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया जा रहा है. आप सबको पूज्य श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी महाराज कि अनुपम वाणी में भजन संध्या का लाभ भी प्राप्त होगा. इस आयोजन की संपूर्ण जानकारी नीचे दी जा रही है.
इस दिन लोग खीर बना कर चांदनी के नीचे रखते है और प्रातः उसे प्रशाद के रूप में ग्रहण किया जाता है, क्यूंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन चांदनी प्रभु के चरण स्पर्श करती है और वही चांदनी जब हमारी खीर को स्पर्श करेगी तो भगवान हमारी खीर का भोग भी लगा लेंगे.
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